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एस्ट्रोनॉट्स का मंगल से वापस आना क्यों है मुश्किल?

दोस्तोँ नासा अपने एस्ट्रोनॉट्स को चाँद पर ले जाकर वापिस धरती पर ला चूका है लेकिन क्या भविष्य में ऐसा ही कुछ मार्स मिशन पर मुमकिन है? क्या एस्ट्रोनॉट्स मंगल गृह की यात्रा करके वापिस आ सकता हैं? लेकिन दोस्तों इसका जवाब जान ने से पहले मैं यह जान न चाहता हूँ की आप क्या सोचते हैं?

पोस्ट को यही पॉज करके निचे कमैंट्स में साझा करे। खैर दोस्तों आपको बतादूँ की मौजूदा टेक्नोलॉजी के दम पर मंगल गृह पर जाना और वापिस पृथ्वी पार आना इतना इमप्रॅक्टिकल है की हम उसे इम्पॉसिबल कह सकते हैं। दोस्तों ,कॉस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी हार्डवेयर रूस और नवीनतम रोकेट प्रोप्लशन सिस्टम होने के बावजूद आज भी साइंटिस्ट्स उन्ही ग्रेविटी मोशन और एरोद्य्नमिक्स के नियमों से बंधे हुए हैं जो नासा ने 60 के दशक में फेस किये थे। मंगल गृह से वापिस आने में सबसे बड़ी दिक्कत है ग्रेविटी।

मार्स पर चाँद से डबल से भी ज्यादा ग्रेविटी है। यहाँ चाँद पर एक किलो मास्स को लिफ्ट ऑफ करने के लिए 632 किलोग्राम हार्डवेयर टैंक और फ्यूल की ज़रूरत होती है वही मंगल पर इस से दोगुने से भी ज्यादा हार्डवेयर और फ्यूल की ज़रूरत पड़ेगी जो कोई आसान चीज़ नहीं।

दूसरा है मंगल की पृथ्वी से दुरी। दोस्तों अपोलो के असट्रोनौट्स तो 3 ही दिन में चाँद पर पहुँच गए थे लेकिन पृथ्वी और चाँद की दुरी से पृथ्वी और मंगल की दुरी 203 गुना ज्यादा है। कॅल्क्युलेशन्स के हिसाब से मंगल तक पहुँचने में एस्ट्रोनॉट्स को 4600 दिन या 12 साल से भी ज्यादा समय लग सकता हैं। 12 साल तक एक स्पेसशिप पर पावर और सप्लाइज मेन्टेन कर पाना मुमकिन नहीं है जिस कारण फिलहाल तो यह इम्पॉसिबल ही है ।

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