
क्या कभी आपने सोचा है की हमे भूख लगती क्यों है?
दोस्तों, हम खाते हैं तो चलते हैं। खाना इंसानों के लिए एक फ्यूल की तरह है। हम दिन भर में कईं चीज़ें खाते हैं कुछ ज़रूरी और कुछ बस स्वाद के लिए। दोस्तों अगर हमे खाने के बिना एक दिन भी रहने के लिए कहा जाये तो हमारी हालत ख़राब हो जाए। लेकिन दोस्तों क्या कभी आपने सोचा है की हमे भूख लगती क्यों है? हमे कैसे पता चलता है की और खाना चाहिए। नहीं पता अभी बताता हूँ।
दोस्तों जैसे की हम जो भी खाना खाते हैं उसमे कार्बोहाइड्रेट प्रोटीनस और फैट्स होते हैं जब हम यह खाते हैं तो हमारे खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है और फिर वही ग्लूकोज़ हमे एनर्जी देता है काम करने की सोचने की लेकिन हम सारा का सारा ग्लूकोज़ उसी टाइम इस्तेमाल नहीं कर सकते इसके लिए पैंक्रियास से इन्सुलिन निकलता है जो इस ग्लूकोस को ग्लाइकोजेन और फैट्स में बदल देता है। हमारी पैंक्रियास ग्लूकोज़ की वजह से इन्सुलिन निकालती हैं जो ग्लूकोज को ग्ल्य्कोजेन में बदल देता है जो हमारे लिवर में इक्क्ठा होता जाता है। जब ग्लूकोज की मात्रा में कमी आती है लिवर से ग्लाइकोजेन भी ख़तम होने लगता है और हमको भूख लगती है।दोस्तो, हमारे दिमाग के हाइपोथैलेमस में दो ऐसे केंद्र होते हैं जो हमारी खाने से सम्बंधित क्रियाओं पर नियंत्रण रखते हैं। इनमें से एक केंद्र हमें खाने के लिए प्रेरित करता है तो दूसरा हमें पेट भर जाने का संकेत देता है। इन दोनों को एकजुट एपेस्टेट कहा जाता है। इसके अलावे कुछ हार्मोन भी हमारे शरीर में भूख लगने और खाने के बाद पेट भरजाने के साइकिल को नियंत्रित करते है।