
पानी बर्फ में आखिर कैसे बदलता है?
दोस्तों कभी आपने पानी की बोतल पूरी फुल भरके फ्रीजर में लगाई है ?अगर हाँ तो आपने ज़रूर उस बोतल में बर्फ जमने पर deformed पाया होगा। हम सभी को आम तौर पर लगता है की चूँकि पानी कॉन्ट्रैक्ट होकर आइस बना होगा तोह आइस पानी से काम स्पेस लेगी लेकिन एक्चुअल में पानी जमने पर एक्सपैंड करता है या फिर पहले से ज्यादा स्पेस लेता है। इसका कारण वाटर मॉलिक्यूल की बनावट है पानी का मॉलिक्यूल दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन एटम के बांड से बनता है हाइड्रोजन एटमस के बिच बांड बनाने की टेन्डेन्सी तोह होती ही है और यह और स्ट्रांग होती जाती है जैसे जैसे टेम्परेचर गिरने लगता है क्यूंकि थर्मल एनर्जी भी काम होती जाती है ।
आइस मॉलिक्यूल का स्ट्रक्चर पूरी तरह से हाइड्रोजन बोंडेड होता है और इनके बिच की स्पेस देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की इस क्रिस्टलाइन आइस के मॉलिक्यूल में गैप्स हैं । इस स्ट्रक्चर की वजह से पानी बर्फ से ज्यादा डेनस है। टेम्परेचर गिरने के साथ पानी की डेंसिटी बढ़ती जाती है जो 4 डिग्रीज सेल्सियस पे हाईएस्ट होती है लेकिन फिर और टेम्परेचर निचे जाने पर पानी एक्सपैंड होने लगता है। नार्मल पानी बर्फ में तब्दील होते होते 9% तक एक्सपैंड हो जाता है।