
भारत के अंदर एक एसा नेशन जहां ना धर्म चलता है और ना ही सरकार!
दोस्तोँ क्या आप जानते हैं की हमारे अपने देश भारत में एक ऐसा एक्सपेरिमेंटल micronation है यहाँ न ही कोई धर्म है और न ही किसी सरकार का राज चलता है। आप सोच रहे होंगे की मैं किसी दूर दर्ज के जनजाति समूह की बात कर रहा हुं लेकिन दोस्तों जिस सिटी के बात मैं कर रहा हूँ उसका नाम है ऑरोविले और यह तमिल नाडु के विल्लुपुरम डिस्ट्रिक्ट में स्थित है।
ख़ास बात तो यह है दोस्तों की गुरु औरोबिन्दो के सपनों को साकार करते इस शहर की नीव मिरर अलफसा नाम की एक स्पिरिचुअल लीडर और रॉजर एंगर नाम के एक आर्किटेक्ट ने 19 में सरकार की मदद से ही राखी थी। इस शहर को बसाने का मकसद था एक ऐसी एक्सपेरिमेंटल सिटी बसाना जिसमे धर्म जात पॉलिटिक्स कुछ न हो और यहाँ के नागरिकों का एक मात्र मकसद स्पिरिचुअल निर्वाण को पाना हो। इसी इनॉग्रेशन में 124 देशों के नुमाइंदे आये थे जिनके सामने ऑरोविले की नीव राखी गयी थी।
20 देशों से लगभग 400 लोग यहाँ बसने भी आये। इस टाउनशिप की पूरी ज़िम्मेदारी औरोबिन्दो सोसाइटी को दी गयी लेकिन फिर मिरर अलफसा की मृत्यु और औरोबिन्दो सोसाइटी और रेसिडेंट्स के मतभेदों के चलते इंदिरा गाँधी सरकार ने ऑरोविले इमरजेंसी प्रोविसिओं एक्ट 1980 के तहत इसका कण्ट्रोल औरोबिन्दो सोसाइटी से ले लिए। जिसके बाद 1988 में राजीव गाँधी सरकार ने ऑरोविले फाउंडेशन एक्ट पास करवाया जिसके तहत इस शहर का तीन लेवल्स पर सिस्टम डिसाइड किया गया और उसमे भारत सरकार के नुमाइंदों को भी जगह दी गयी।
दोस्तों आपको जानकार हैरानी होगी की आज ऑरोविले में दुनियाभर के लगभग 55 देशों के 2900 से ज्यादा लोग रहते हैं जो मिरर अलफसा के सपने को ज़िंदा रखे हुए हैं।