
वैज्ञानिक दो ग्रहों के बीच की दूरी को कैसे मापते हैं?
दोस्तों क्या आप जानते है की वैज्ञानिक दो ग्रहों के बीच की दूरी को कैसे मापते हैं जैसे कि पृथ्वी से सूरज की दूरी? आपको जान कर आश्चर्य होगा लेकिन दोस्तों मॉडर्न हिस्ट्री में आज से 400 साल पहले ही इंसान ने इस दूरी को सटीकता से माप लिया था। 1653 में क्रिस्टिआन हुय्गेंस ने पृथ्वी से सूर्य तक की दुरी को माप लिया और यह कैलकुलेट करने के लिए उन्होंने मदद ली वीनस याने शुक्र गृह के फेसेस की। अर्थ वीनस और सन के बिच बानी ट्रायंगल के एंगल्स जान ने के लिए उन्होंने वीनस के फेसेस को स्टडी किया और अपनी कैलकुलेशन से यह दुरी बताई 15.2 करोड़ किलोमीटर।
लेकिन प्लैनेट्स के बिच की दूरी मापने का सबसे ज्यादा श्रेय इतालियन माथेमैटिशन जोवनी कासीनी को जाता है जिनके नाम पर सैटर्न पर प्रोब भी भेजा जा चूका है इनका पूरा नाम था जोवनी डोमिनिक कासीनी और इनका जन्म इटली में 1625 में हुआ था। इन्होने पैरालाक्स की मदद से मंगल और बुध ग्रह की पृथ्वी से दूरी मापी। लेकिन सूर्य की पृथ्वी से दूरी मापने के लिए हम पैरालाक्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। दोस्तों आज हमारे पास रडार तकनीक है। अब किसी भी ग्रह की दूरी हम आसानी से माप सकते हैं। इसके लिए हम रडार का सिगनल पृथ्वी से उस ग्रह पर भेजते हैं और फिर जब रडार सिग्नल वापस आता है तो आने और जाने में लगने वाले समय की मदद से उसकी हमसे दुरी मापी जाती है। चूँकि रडार की स्पीड लाइट की स्पीड के बराबर होती है हम किसी भी ऑब्जेक्ट से अपनी दुरि आसानी से माप सकते हैं। प्लेन्स और मिसाइल्स में भी राडार टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती है। इसलिए दोस्तों पृथ्वी से दूसरे ग्रहों की दूरी मापना अब बहुत आसान है।