आर्मी जैसी नॉन प्रॉफिटेबल चीजें सरकार कैसे चलाती है
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आर्मी जैसी नॉन प्रॉफिटेबल चीज़ें सरकार कैसे चलाती है ?

दोस्तोँ इस फैक्ट में आप सभी से मैं एक सवाल पूछना चाहता हूँ। घ्यान से सुनिएगा दोस्तों ,इंडियन आर्मी एक सरकारी संस्था है इसे सब कुछ मुफ़्त का मिलता है। इसमें जितना पैसा लगता है वो बस लगता ही है आर्मी कभी हमे एक ढेले की भी कमाई करके नहीं देती। तो क्या आपके हिसाब से इंडियन आर्मी को बंद कर देना चाहिए?

अच्छा बंद नहीं आकर सकते तो क्यों न इंडियन आर्मी की जगह जिओ आर्मी बनाकर रिलायंस को आउटसोर्स कर दे, क्यों? कम से कम टैक्स तो आएगा।नहीं! दोस्तों बिलकुल नहीं आर्मी हमेशा घाटे में चलती है क्यूंकि आर्मी का मकसद देश के लिए प्रॉफिट कामना नहीं है सिक्योरिटी प्रोवाइड करना है।

पब्लिक सर्विस सेक्टर में ऐसे बहुत सी आर्गेनाइजेशन होती हैं जो प्रॉफिट के लिए नहीं सर्विस के लिए काम करती हैं इनका खर्चा सरकार दूसरी प्रॉफिट मेकिंग फर्म्स पर टैक्स लगाकर वसूल करती है। तो जो फ़ायदा आपको ओएनजीसी से होता है वह आप आर्मी में लगा देते हैं। इस तरह दोस्तों बैंक ऑफ इंडिया का काम एचडीएफसी से प्रॉफ़िट्स के लिए कपट करना नहीं बल्कि दुर्गम इलाकों तक बैंकिंग को पहुंचाने का होता है।

सरकारी अस्पताल का उद्देश्य मैयो क्लीनिक से ज्यादा लाभ कमाना नहीं बल्कि सुलभ चिकित्सा प्रदान करना होता है। यह गलतफहमी तो फैलाई गयी है कि किसी सरकारी संस्था के काम का आकलन उसने कितना प्रॉफिट बनाया इस से किया जाए। ऐसा दुष्प्रचार वह सरकारें करतीं हैं जो जनसेवा के इन संस्थनो को बंद करने में और केवल चंद इंडस्ट्रियलिस्ट्स को सर्वे करने का काम करती हैं।

सेना सुरक्षा करती है तो अस्पताल इलाज करता है। जब आप घाटे में चलने वाली आर्मी और हॉस्पिटल्स को मुफ़्तख़ोर कहना या उसपर होते खर्चे को आर्थिक घाटा नहीं कहते| दोस्तों मेरा बस यह कहना है की तमाम सरकारी संस्थाओं को कोडियन के मोल बेचना कोई समझदारी का काम नहीं बल्कि जनसेवा के इस हलके फूलक तंत्र का भी सत्यानाश करने की प्रक्रिया है। उम्मीद हैं चश्मे से कुछ धुल तो हटी होगी। खैर पोस्ट अच्छी लगी हो तो प्लीज शेयर कर देना

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