
सोमनाथ मंदिर कितनी बार तोड़ा गया और फिर कैसे बना
गुजरात में बना सोमनाथ मंदिर (Somnath Mandir) भारत का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिरों में से एक है. इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में माना और जाना जाता है. इस ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू कहा जाता है।
गुजरात के सौराष्ट्र के वेरावल में ये मंदिर बना हुआ है मान्यता है कि इसे स्वयं चन्द्रदेव ने बनवाया था. चन्द्रदेव ने सोमनाथ में शिवजी को खुश करने के लिए ये मंदिर बनवाया था. वहीँ अगर हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से देखें तो इसका जिक्र स्कंदपुराण, श्रीमद भागवत गीता और शिवपुराण में मिलता है. ये मंदिर भारत देश और हिन्दू धर्म के इतिहास की कहानी कहता है. इस मंदिर की चर्चा और वैभव इतना ज्यादा था कि इस पर कई बार हमले हुए लेकिन हर बार ये दोबारा पूरे शौर्य के साथ खड़ा हुआ.
1024 और 1026 में अफगानिस्तान के गजनी के सुल्तान महमूद गजनवी ने भी सोमनाथ मंदिर पर इतने आक्रमण किये कि इसका दोबारा बन पाना नामुमकिन था. साल 1024 में गजनवी ने 5000 सैनिकों के साथ मिलकर सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था. उसने मंदिर का सारा खजाना लूट लिया था और मंदिर को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था. गजनवी के मंदिर पर आक्रमण के बाद गुजरात के राजा भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने इसको दोबारा बनवाया था.
Somnath मंदिर का इतिहास:
1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी इस मंदिर के निर्माण में पूरा सहयोग दिया था. साल 1297 में जब दिल्ली सल्तनत का सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति ने गुजरात पर हमला किया तो उसने इस मंदिर में फिर से तोड़फोड़ मचा दी और यहाँ की संपत्ति को लूट कर ले गया. मंदिर टूटने के बाद हिन्दू राजाओं ने दोबारा इस मंदिर का renovation कराया.
ये घटनाएं यहीं रुकी नहीं बल्कि साल 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह ने मंदिर को तोड़कर सारा चढ़ावा लूट लिया था. 1412 में भी ऐसा ही हुआ और उसके बेटे अहमद शाह ने भी मंदिर के खजाने को लूट किया. इस मंदिर की मान्यता इतनी ज्यादा थी कि भक्तों की आस्था कभी भी कमी नहीं आई .
मुग़ल काल में हिन्दू धर्म को हर तरह से खत्म करने की कोशिश की गयी. मुस्लिम क्रूर बादशाह ओरंगजेब के समय में दो बार तोड़ा गया. 1665 में मंदिर तुड़वाने के बाद भी उसका मन नहीं भरा था. जब उसने देखा हिन्दू अभी भी उस जगह पर पूजा कर रहे हैं तो उसने सेना भेजकर कत्लेआम करवाया. इनमें वो लोग थे जो या तो यहां पूजा कर रहे थे या मंदिर में दर्शन करने आये हुए थे. वो लोग भी थे जो आसपास के गांवों में रहते थे और मंदिर की रक्षा करने आए थे.
जब भारत का एक बड़ा हिस्सा मराठो के अधिकार में था तब साल 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने मूल मंदिर से थोड़ी दूरी पर पूजा करने के लिए सोमनाथ के नजदीक एक और शिव मंदिर बनवाया था.
आज के समय में गुजरात में जो सोमनाथ मंदिर है उसको आज़ादी के बाद के पहले होम मिनिस्टर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में दोबारा बनवाया था. 1 दिसंबर 1995 को देश के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया। इस मंदिर की महिमा को अनगिनत बार हुए हमले भी श्रद्धालुओं के मन से हटा नहीं सके. इस मंदिर को बनने में 5 साल लग गये थे इसके कैंपस में गर्भगृह है जिसमें ज्योतिर्लिंग, सभा मंडपम और नृत्य मंडपम हैं। इसके टॉवर जिसे मुख्य शिखर कहा जाता है उसकी ऊंचाई 150 फीट है. यह मंदिर हिन्दुओं के सबसे बड़े तीर्थों में आता है. पित्रों के श्राद्ध के लिए लोग यहाँ आते हैं. सोमनाथ में हर साल करोड़ों को चढ़ावा आता है। इसलिए ये भारत के अमीर मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की पीछे बने बीच तक जाने के लिए एक किलोमीटर लम्बा फूटपाठ भी बनाया गया है. जो tourists के लिए अट्रैक्शन स्पॉट बना हुआ है.