Terracotta Army

Terracotta Army का रहस्य

जमीन के नीचे इतिहास का एक ऐसा रहस्य दफन है, जिसके बारे में पूरी तरह से आज भी कोई नहीं जानता। ये रहस्य है चीन की विशाल टेराकोटा आर्मी (Terracotta Army) का, जहां चीन की राजा ने मौत के बाद अपनी सुरक्षा के लीये, 8000 सैनिकों को अपने साथ  दफन करवा दिया था, पर आखिर क्यूँ, क्या है ये रहस्य चलिए जानते हैं।  

Terracotta Army आज भी पूरी दुनिया के लीये एक बहुत बड़ा रहस्य है, जिसको सालों से सुलझाने की कोशिश की जा रही हैं, चीन की इस आर्मी  का इतिहास ऐसा है की न जाने कितने ही राज आज भी इस आर्मी के बारे में दफन हैं।  

वैसे तो चीन का इतिहास बहुत ही ज्यादा पुराना है, और इसी इतिहास की एक परत साल 1974 में खुली, जब एक किसान अपने खेत में कुआं खोद रहा था, कुआं खोदते टाइम उसे एक सैनिक की पुरानी कब्र मिली, थोड़ा और खोदने पर उसे कुछ और कब्रें मिलनी लगीं, और तब जाकर उसने चीनी सरकार को ये बात बताई, की उसके खेत में लगातार कब्रें मिल रही हैं, उसके बाद चीन के पुरातत्व विभाग ने वहाँ पहुंचकर पूरे खेत में खुदाई का काम शुरू किया, और तब उन्हे मिला चीन के इतिहास का एक बहुत बड़ा हिस्सा,  जो चीन के आर्किऑलोजी डिपार्टमेंट के लीये किसी खजाने से भी बहुत ज्यादा था, और वो था,,, एक बहुत बड़ा मकबरा जिसमे हजारों चीनी सैनिक एक राजा की कब्र के साथ दफन थे।  

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आर्किऑलोजिटस ने जब यहाँ रिसर्च शुरू की,,,,  तो उन्हे पता चला की ये चीन के पहले शासक किन शी हुआंग का बनवाया हुआ मकबरा है और उनके साथ जो हजारों की संख्या में  सैनिक दफन हैं.. .. वो उन्ही की टेराकोटा आर्मी है। राजा किन शी हुआंग जिनका असली नाम यिंग जेंग था,,,,  वो चीन के पहले शासक थे, किन शी हुआंग ने चीन के ही लड़ते झगड़ते राज्यों को एकजुट करके,  एक देश बनाने के बारे में सोचा। जिसके लीये उन्होंने टेराकोटा आर्मी को बनाया था, इस विशाल सेना की मदद से किन शी हुआंग चीन को एकजुट करने में सफल हुए, और देश के पहले सम्राट बने।  

किन शी हुआंग ने ही दुनिया के सात अजूबों में शामिल चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को बनवाना शुरू कर दिया था, हालांकि इसे पूरा करवाने में कई सालों का टाइम लगा था, जिसे बाद में चीन के दूसरे राजाओं ने पूरा करवाया था, पर चीन के चारों तरफ इस दीवार से किलेबंदी का आइडिया राजा किन शी हुआंग का ही था।  

पूरी ज़िंदगी चीन जैसे बड़े देश पर राज करने के बाद राजा किन शी हुआंग जब बूढ़े होने लगे,,,  तो उनके मन में निराशा जागने लगी, उन्हे अपने देश और अपने आप की चिंता सताने लगी, इसीलिए राजा को ख्याल आया की, मुझे मेरे मरने के बाद, मेरे नाम एक मकबरा बनवाना चाहिए,,,,   उन्होंने कहा ये मकबरा जमीन के नीचे बनाया जाए,,,  जहां मौत के बाद उन्हे दफनाया जाए, इस मकबरे को बनाने के लीये चीन के शियान शहर को चुना गया, शहर में मौजूद रेगिस्तान के बीचों बीच इस मकबरे को बनवाया गया।  

कई जगह ये भी बताया गया है,,, की,,, राजा किन शी हुआंग पुनर्जनम में विश्वास रखते थे, इसीलिए उन्होंने अपनी मौत के बाद अपने असली सैनिकों को कब्र में दफनाने का सोचा था ताकि मरने के बाद वो सैनिक उनकी रक्षा कर सकें, मतलब ये तो वही बात हो गई, की हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे,,,,   

पर उस समय तक बलि देना लोगों की नजर में गलत हो चुका था, इसके बाद राजा किन शी हुआंग ने ये डिसाइड किया की उनकी टेराकोटा आर्मी के सभी 8 हजार सैनिकों की मिट्टी की मूर्तियाँ बनवाई जाएं, जो उनकी मौत के बाद  उन मूर्तियों को उनकी कब्र के साथ दफना जाएं।  

राजा के आदेश पर ऐसा ही किया गया, और फिर इस मकबरे को बनाने का काम शुरू किया गया, सभी 8 हजार सैनिकों की मूर्तियाँ बनवाई गईं, और कमाल की  बात ये थी की 8 हजार मूर्तियों में से किसी भी मूर्ति का चेहरा दूसरी मूर्ति से जरा भी नहीं मिलता, सभी मूर्तियों के चेहरे एक दूसरे से बिल्कुल अलग दिखते हैं, साथ ही इन सभी मूर्तियों को दफनाने से पहले कलर भी किया गया था, इन सभी सैनिकों के हाथों में करीब 40 हजार हथियार जैसे—- भाले, तलवार, कुल्हाड़ी और तीर  मूर्तियों को पकड़ाए गए थे,  और वो सभी 40 हजार हथियार एकदम असली हथियार थे,  

इन हथियारों को कभी यूज नहीं किया गया था, ये सिर्फ मूर्तियों के साथ दफनाने के लीये ही बनाए गए थे। इसके अलावा सभी मूर्तियों की लंबाई भी अलग अलग रखी गई थी,,,,,,  जैसे हर एक इंसान की लंबाई एक दूसरे से अलग होती है, वैसे ही कोई मूर्ति 6 फिट है, तो को 8 फिट की, कुछ मूर्तियाँ तो 11 फिट तक भी बताई जाती हैं, इन सभी सैनिकों को सेना में उनकी पोस्ट के हिसाब से खड़ा किया गया है।  

सिर्फ इतना ही नहीं इस मकबरे में सैनिकों की मूर्तियों के अलावा 130 से ज्यादा रथ भी मिले, जिन्हे 520 से ज्यादा घोड़े खींच रहे थे, इसके अलावा 150 घुड़सवारों की मूर्तियाँ भी इस मकबरे में दफन मिली। इन्हे राजा की कब्र के बिल्कुल पास में रखा गया था। और तो और  राजा की शानो शौकत का भी सारा सामान यहाँ रखा गया था। सम्राट किन शी हुआंग मानते थे की Liquid Mercury से अमरता को प्राप्त किया जा सकता हैं, इसीलिए उन्होंने मकबरे को पूरी तरह Liquid Mercury से भर देने का भी आदेश दिया था, जिसे बाद में पूरा भी किया गया।  

बताया जाता है Terracotta Army का ये मकबरा 250 ईसा पूर्व बनाया गया था, और 2200 सालों तक चीन के इतिहास का ये मकबरा पूरी दुनिया की पहुँच से दूर छिपा रहा, साल 1974 में जब कुआं खोदते हुए ये मकबरा एक किसान को मिला  तब इस जगह को एक हेरिटेज साइट बना दिया गया, पर अभी भी कमाल की बात ये है की टेराकोटा आर्मी के 8000 सैनिकों में से सिर्फ 2000 सैनिकों को ही खुदाई करके निकाला जा सका है, 6000 सैनिकों की मूर्तियों को खुदाई करके ढूँढना अभी भी बाकी है। बाकी के हिस्से में और क्या क्या मिलेगा इसका अंदाजा लगाना अभी भी काफी मुश्किल है। कुछ इसिहास कारों का मानना है की इस मकबरे को बनाने में दस साल का टाइम लगा होगा वहीं कुछ का मानना है की इसमे 40 साल तक का टाइम लगा होगा।  

1974 में इस मकबरे की खोज के बाद साल 1987 में यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल कर लिया था, उसके बाद साल 2005 में  टेराकोटा आर्मी के इस मकबरे को चीन ने museum में बदल दिया गया है, किन शी हुआंग department इसी की देखरेख के लीये बनाया गया था, और आज हजारों लोग टेराकोटा आर्मी देखने रोज इस museum में पहुंचते हैं, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब चीन दौरे पर गए थे तब उन्होंने टेराकोटा आर्मी के इस museum को विज़िट किया था।  

हजारों रिसर्च और इतने सालों की खुदाई के बाद टेराकोटा आर्मी के इस इतिहास को सामने लाया गया हैं, उम्मीद है टेराकोटा आर्मी से जुड़ी ये इनफॉर्मेशन आपको पसंद आई होगी।  

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