
क्या है ‘Pegasus’ की पूरी कहानी | The complete Story of ‘Operation Pegasus’
दोस्तों Pegasus सेकेंडल के बारे में तो आपने अब तक सुन ही लिया होगा…इन दिनों न्यूज चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह इसी की बात तो हो रही है..और थोड़ा बहुत आपको इसके बारे में पता भी चल गया होगा कि पेगासस सेकेंडल मोबाइल हैकिंग से जुड़ा है….पर असल मैं पेगाससस है क्या …कैसे काम करता है …किन ट्रिक्स की मदद से ये फोन को हैक करता है और पूरी दुनिया में इसने इतना बंवडर क्यों मचा रखा है मैं आपको बताऊंगा फैक्टिफाइड के इस post में…
Pegasus क्या है ?
दोस्तों पेगासस इजरायली की एक आईटी फार्म NSO है का स्पायस्फॉटवेयर मानें जासूसी करने वाला स्फॉटवेयर है…यहां NSO की फुल फॉर्म Niv, Shalev और Omri है जो इसके ऑउनर्स को रिप्रेजंट करता है……
कैसे सामने आया Pegasus का सेकेंडल
स्पाइयस्फॉटवेयर पेगासस को लेकर सोशल मीडिया पर हलाला तब शुरु हुआ जब 16 मीडिया ओर्गनाइजेशन ने मिलकर पेगासस पर एक डीप इनवेस्टगेशन के बाद रिपोर्ट शेयर की…इन ऑर्गनाइजेशन में भारत से द वॉयर भी शामिल है….
पेरिस की नॉन प्रोफिटेबल मीडिया ऑर्गनाइजेशन Forbidden और MNST International ने 50 हजार नंबर्स की एक लिस्ट तैयार की थी….जिनकी जासूसी करवाई गई या करवाई जाने वाली थी…इन 50 हजार नंबर्स में से 300 नंबर भारत के भी हैं… इन नंबर्स की जांच करने के बाद Forbidden और MNST International ने दुनियाभर की 15 मीडिया ऑर्गनाइजेशन के साथ ये डिटेल शेयर की ..जिन्होंने अपने स्तर पर इन नंबर्स की डिटेल निकाली……
और ये फोन नंबर हम और आप जैसे आम लोगों के नहीं बल्कि मिनिस्टर्स , सिनियर जनर्लिस्टस, सुप्रीम कोर्ट के जज, प्राइम मिनिस्टर्स और राष्ट्रपति के हैं….
कैसे काम करता है पेगासस
दोस्तों पेगासस किसी आम हैकिंग सॉफ्टवेयर की तरह यूजर की identity या Password नहीं पूछता ना ही इसके लिए यूजर की कोई और डिटेल की जरुरत पड़ती है.. ये एक तरह का मैलेशियस सॉफ्टवेयर या मैलवेयर है जो यूजर की जानकारी के बिना उसके फोन में घुसकर उसकी हर छोटी बढ़ी हरकत पर नजर रखता है….
पेगासस सॉफ्टेवयर को फोन में INSTALL करने के लिए हैकर्स Random links और Calls का इस्तेमाल करते हैं….लिंक पर क्लिक करते ही ये सॉफ्टवेयर यूजर की जानकारी के बिना ही फोन में डाउनलोड हो जाता है….वहीं एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेगासस के अपडेटिड वर्जन में लिंक को क्लिक करने की भी जरुरत नहीं पड़ती…ये अपने आप फोन में डाउनलोड हो जाता है…और कई बार तो सिर्फ व्हाट्सअप मिसिड कॉल के जरिए भी पेगासस फोन में Install हो सकता है…2017 में whatsapp ने खुद अपने एक स्टेटमेंट में कहा था कि पेगासस के जरिए whatsapp पर unknown कॉल के जरिए कई फोन्स हैक किए गए है…..
पेगासस फोन में INSTALL होने के बाद यूजर के चैट्स, कॉल, फोटो गैलरी, मेल, फाइनेशियल एप्स, कलेंडर, वीडियो कॉल्स को रिकॉर्ड करता है यही नहीं पेगासस के जरिए यूजर की करेंट लोकेशन को भी ट्रेक किया जा सकता है… इस सॉफ्टवेयर के जरिए यूजर के Skype, gmail, whatsapp, facebook, Instagram की browser history, Settings, data restore को कंट्रोल करना बहुत आसान है.. फिर व्हाट्सअप पर चैट करने के बाद आप भले ही उसे डिलीट कर दो कोई फर्क नहीं पड़ता…पेगासस पर वो डाटा स्टोर हो जाता है…..
पेगासस सेकेंडल में 40 इंडियन जर्नलिस्ट्स, 3 विपक्षी नेता, 2 सेंट्रल मिनिस्टर्स और 1 जज का फोन नंबर शामिल है….
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Pegasus को कौन ऑपरेट करता है
जानता हूं अब आप सोच रहे होंगे कि अगर ये एप इतना खतरनाक है तो इसे बैन क्यों नहीं कर दिया जाता तो आपको बता दूं कि पेगासस सॉफ्टेवयर किसी कमर्शियल इस्तेमाल के लिए नहीं है…इस सॉफ्टवेयर को इजरायली NSO group सिर्फ दूसरे देशों की सरकारों को उनके नेशनल इस्तेमाल के लिए ही बेचता है…..
वैसे तो सरकारें इस सॉफ्टवेयर को दूसरे देशों की जासूसी के लिए इस्तेमाल करती हैं लेकिन कई देशों पर इस सॉफटवेयर के जरिए अपने ही जर्नलिस्ट्स, जजस और सोशल एक्टविस्ट्स पर नजर रखने की खबरें सामने आई है…और इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारें इस्तेमाल कर रही है…..Individual हैकर्स के पास भी ये सॉफ्टवेयर हो सकता है…
पेगासस सॉफ्टेवयर की लिस्ट में 34 देशों के सीनियर पॉलिटिशयन, सीनियर जरनलिस्ट और प्राइम मिनिस्टर्स के नाम शामिल है….और अगर आप इस मामले को सिर्फ छोटा मोटा डाटा लीक या हैंकिग का मामला समझकर नजरअंदाज करने की सोच रहे हैं तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं…
Democracy पर खतरा
आप को याद होगा कि मोबोक्विक डाटा लीक वीडियो में मैनें आपको डार्क वेब की दुनिया के बारे में बताया था और बताया था कि कैसे आपके डाटा को आपके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है….पर पेगासस का ये सॉफ्टवेयर मोबोक्विक जैसे डाटा लीक से भी 10 गुना ज्यादा खतरनाक है क्योंकि पेगागस सिर्फ डाटा लीक से जुड़ा सेकेंडल नहीं है ये एक जासूसी सॉफ्टेवयर है…जो यूजर की हर हरकत पर नजर रखता है और उसकी प्राइवेसी को खत्म कर देता है
इस सेकेंडल पर रिसर्च करने वाले द वॉयर के ही 14 जर्नलिस्ट के नंबर इस लिस्ट में मिले है..इसके अलावा इंडिया के टॉप मीडिया ऑर्गनाइजेशनस द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, Frontier tv, news click और The pioneer के सीनियर जर्नलिस्ट के नंबर भी इसमें शामिल है…
लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भी दो नंबर है जिन्हें अब वो इस्तेमाल नहीं करते …पर राहुल गांधी का कहना है कि उन्हें Unknown Numbers से व्हाट्सअप मिसिक्ड कॉलस आ चुकी है…और शायद तभी ये सॉफ्टेवयर उनके फोन में install हुआ हो…
क्या Iphone को हैक कर सकता है Pegasus
इजरायली सॉफ्टेवयर Pegasus android और iphone दोनों को आसानी से हैक कर सकता है….. android में डाउनलोडिंग बैरियर्स बहुत वीक होते है जिस वजह से Unknown apps बिना यूजर की इजाजत के भी डाउनलोड हो जाते हैं.. … android के मुकाबले iphone ios का सॉफ्टवेयर ज्यादा सेफ है पर थोड़ी मसकत के बाद इसे भी Pegasus हैक कर सकता है….
40 देशों के पास है Pegasus का Excess
यहां सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इस खतनारक जासूसी सॉफ्टेवयर का इस्तेमाल देश दूसरे देशों की नहीं बल्कि अपनी ही मीडिया, पॉलिटिशन और जजों पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं…..Forbidden के अनुसार इस इजरायली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया के 40 से ज्यादा देश अपने लोगों पर नजर रखने के लिए करते हैं…और मीडिया में सामने आई 50 हजार नंबर की लिस्ट तो सिर्फ ये बताती है कि इन नंबर्स को ट्रैक किया जा रहा था इन नंबर्स के जरिए कितने और नंबर्स पर नजर रखी जा रही थी ये तो आप सोच भी नहीं सकते….
France के राष्ट्रपति का फोन Hack
जर्नलिस्ट्स और एक्टिविस्ट्स के नंबर्स को हैक करना तो फिर भी समझ आता है लेकिन इन सॉफ्टेवयर के जरिए तो कई देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर भी नजर रखी जा रही थी….फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron और उनके 13 सरकारी अधिकारियों के फोन नंबर भी इस लिस्ट में मिले हैं….मानें दुनिया के सिक्टोरिटी Surveillance इस सॉफ्टवेयर के आगे पानी कम चाय है और मैंने तो इजरायल के वीडियो में आपसे कहा ही था कि इजरायल Cyber Technology के मामले में साइबर वर्ल्ड का किंग है हां लेकिन इजरायली के ये इनवेशन कोई गर्व की बात नहीं है…
पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए देशों में cybercrime, टेरिज्म, Blackmailing, False Cases, financial fraud, harassment जैसे क्राइम तो बढ़ते ही है इसी के साथ democratic rights भी खत्म हो जाएंगे….निजी जानकारी का इस्तेमाल करके कोर्ट में विक्टिम के बयान को बदला जा सकता है…..Evidence के साथ छेड़छाड़ करना…. Election के दौरान वोट Manipulation बहुत आसान हो जाएगा….
जिन भारतीयों का नंबर पेगासस स्पाईवेयर में मिला है उनमें एक नाम उस महिला का भी है जिसने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज रंजन गोगोई पर रेप( यौन उत्पीड़न) का आरोप लगाया था…महिला की जासूसी उस दौरान की गई जब उनका केस कोर्ट में था…..
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कैसे पता करें फोन में Pegasus है
अगर आप भी ये चैक करना चाहते है कि आपके फोन में भी Pegasus तो नहीं है तो इसका सबसे आसान रास्ता है Mobile Verification Toolkit ( MVT) …इस एप के जरिए android और ios को डिटेक्ट किया जा सकता है….इस एप को Amnesty International ने Unknown Dangerous एप्स को डिटेक्ट करने के लिए बनाया है और ये पूरी तरह सेफ है और अगर आपको अपने फोन में पेगासस मिल जाता है तो उसे भी रिमूव करने का सबसे आसान रास्ता है अपने फोन के सॉफ्टेवयर को अपडेट करना….या फिर फोन को रिसेट करने से भी ये एप फोन से हट जाएगा…..
दोस्तों Invention सोसायटी के फायदे के लिए हो तो अच्छा है लेकिन अगर यही Invention हमसे हमारी प्राइवेसी छीन ले तो लाइफ जेल में बंद कैदी जैसी नहीं हो जाएगी…खैर इस पर सेकेंडल पर आपका क्या कहना जल्दी कमेंट करके बताओ….